“क्षण भर को क्यों प्यार किया था ? “

क्षण  भर  को  क्यों प्यार किया  था  ?   अर्ध  रात्रि  में  सहसा  उठकर  , पलक  संपुटो  में  मदिरा  भर तुमने  क्यों मेरे चरणों में…

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” ओ मतवाले ऐसे बरसो “

ओ मतवाले  ऐसे  बरसो धरती  का  यौवन  मुसकाये सरस–सरस  बूंदों  से  उतरो तरुवर  खड़े  बाँह  फैलाये   ! सावन  में  प्लावंन  बन  आये इतनी  आतुरता  न …

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” हम कहा बड़ा ध्वाखा होइगा ” हास्य कवि रमई काका की रचना के कुछ अंश “

हम  गयन याक दिन  लखनौवे, कक्कू संजोग अइस परिगा, पहिलेहे पहिल हम सहरु दीख, सो  , कहूँ– कहूँ  ध्वाखा होइगा  ! जब गयें नुमायिस् द्याखे…

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जल संरक्षण को लेकर बुद्धिजीवियों की गोष्ठी संपन्न

जल संरक्षण को लेकर बुद्धिजीवियों की गोष्ठी संपन्न गिरते जल स्तर पर जताई चिंता । सोनभद्र।जीवन की बेतहाशा बढ़ती भाग दौड़ में व्यक्तिगत मुद्दों की…

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” काँटे सहते सहते हम गुलाब हो गये “

हमने  डाले  बीज  प्यार  के  ,  उसने  काँटे  बोये, उन  काँटों से  लिपट लिपट  कर  हम  रात  रात  भर  रोये दुनिया  भर  के  दर्दों  का …

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