“क्षण भर को क्यों प्यार किया था ? “

क्षण  भर  को  क्यों प्यार किया  था  ?

 

अर्ध  रात्रि  में  सहसा  उठकर  ,

पलक  संपुटो  में  मदिरा  भर

तुमने  क्यों मेरे चरणों में अपना तन– मन  वार  दिया  था

क्षण  भर  को  क्यों  प्यार  किया  था  ?

 

यह  अधिकार  कहाँ  से  लाया

और  न  कुछ  मैं  कहने  पाया —

मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था

क्षण  भर  को  क्यों  प्यार  किया  था  ?

 

वह क्षण  अमर  हुआ  जीवन  में

आज  राग  जो  उठता  मन  में —

यह  प्रतिध्वनि  उसकी जो  उर में  तुमने भर  उद्धार दिया था

क्षण  भर  को  क्यों  प्यार  किया  था  ?

———–   हरिवंशराय  बच्चन

( संकलित   )

राम कुमार दीक्षित,  पत्रकार  !