” मुस्कराने के लिए “

मसखरा  मशहूर  है ,  आँसू  बहाने के लिए

बांटता है वो हंसी, सारे     ज़माने    के लिए  !

 

घाव सबको मत दिखाओ, लोग  छिड़केंगे  नमक

आएगा  कोई  नहीं  मरहम  लगाने  के  लिए   !

देखकर  तेरी  तरक्की, ख़ुश  नहीं  होगा  कोई  ,

लोग   मौक़ा  ढूँढते  हैं  ,  काट  खाने  के  लिए   !

फलसफा  कोई  नहीं  है  ,  और  न  मक़सद  कोई,

लोग  कुछ  आते  जहाँ  में  ,  हिनहिनाने के  लिए  !

मिल  रहा  था  भीख  में, सिक्का  मुझे  सम्मान  का  ,

मैं  नहीं  तैयार     झुककरके    उठाने  के   लिए   !

ज़िंदगी  में  ग़म  बहुत  हैं  , हर  कदम  पर  हादसे  ,

कुछ  समय  तो  निकालो,  मुस्कराने  के   लिए   !

———- प्रसिद्ध  हास्य कवि   हुल्लड  मुरादाबादी

(  संकलित  )

राम  कुमार  दीक्षित  ,   पत्रकार   !