कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है दरो– दीवार हो जिनमें वही जिंदा नहीं होता ! हमारा ये तज़ुर्बा है कि…
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” एक रुबाई “
अफ़सोस नहीं इसका हमको , जीवन में हम कुछ कर न सके , झोलियाँ किसी की भर न सके , संताप किसी का हर न …
View More ” एक रुबाई “” मन का ताप हरो “
मन का ताप हरो लेकर मुझे शरण में अपनी, भय से मुक्त करो तृण– सा मैं उड़ रहा भुवन में कभी धरा पर ,…
View More ” मन का ताप हरो “” गुलाबी चूड़ियाँ “
प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ , सात साल की बच्ची का पिता तो है ! सामने गियर से ऊपर हुक से लटका …
View More ” गुलाबी चूड़ियाँ “” अनजाने अपने “
चलो उनका हाल चाल लेते हैं , जिनका कोई नहीं है ! रात हो गई है , लेकिन सड़क किनारे बैठी माताजी सोई नहीं है…
View More ” अनजाने अपने “” मेरो दरद न जाने कोय “
हे री मैं तो प्रेम– दीवानी, मेरो दरद न जाने कोय ! घायल की गति घायल जाने, जो कोई घायल होय ! जौहरि की…
View More ” मेरो दरद न जाने कोय “” सखि, वे मुझसे कहकर जाते “
सखि, वे मुझसे कहकर जाते, कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ— बाधा ही पाते ? मुझको बहुत उन्होंने माना फिर भी क्या पूरा …
View More ” सखि, वे मुझसे कहकर जाते “” सुबह सुबह “
सुबह—- सुबह तालाब के दो फेरे लगाए सुबह—– सुबह रात्रि शेष की भीगी दूबों पर नंगे पाँव चहलकदमी की सुबह —- सुबह हाथ—–…
View More ” सुबह सुबह “” मौन “
बैठ लें कुछ देर आओ , एक पथ के पथिक— से प्रिय , अंत और अनन्त के तम— गहन— जीवन घेर मौन मधु हो जाए…
View More ” मौन “” हौंसले हैं बुलंद “
उड़ने को हौंसले हैं बुलंद , रोक सको तो रोक लो ! सपनों को साकार करने को तैयार हैं हम उड़ने को तैयार हैं हम…
View More ” हौंसले हैं बुलंद “