रोक सको तो रोक लो !
सपनों को साकार
करने को तैयार हैं हम
उड़ने को तैयार हैं हम
मिलती नहीं यूँ ही मंज़िल आसानी से
थोड़ा तो तपिस् करना ही पड़ता है
बांध लिया नदियों पर अपनी कोशिशों का पुल
तैरकर पार उतरेंगे ज़रूर हम
रोक सको तो रोक लो
उड़ने को तैयार हैं हम
अक्सर कई बार आते हैं राहों में
चुभते कंकड़ों की कतारें
पर रोक सको तो रोक लो
उड़ने को तैयार हैं हम !
( साभार )
———– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !