जो छूट गया उसका क्या मलाल करें ,
जो हासिल है , चल उससे ही सवाल करें ! d
बहुत दूर तक जाते हैं , यादों के काफिले ,
फ़िर क्यों पुरानी यादों में सुबह– शाम करें !
माना इक कमी सी है , जिंदगी थमी सी है
पर क्यों दिल की धड़कनों को दर– किनार करें !
मिल ही जायेगा जीने का कोई नया बहाना ,
आ ज़रा उस बहाने का इंतज़ार करें !
——- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !