” सुबह सुबह “

सुबह—-   सुबह

तालाब  के  दो  फेरे   लगाए

 

सुबह—– सुबह

रात्रि  शेष  की  भीगी  दूबों   पर

नंगे   पाँव  चहलकदमी  की

 

सुबह  —- सुबह

हाथ—– पैर   ठिठुरे, सुन्न  हुए

माघ  की  कड़ी  सर्दी  के   मारे

 

सुबह—- सुबह

अधसूखी   पत्तियों  का  कौडा  तापा

आम  के  कच्चे  पत्तों  का

जलता,  कडुआ  कसैला  सौरभ  लिया

 

सुबह—– सुबह

गंवई   अलाव  के  निकट

घेरे  में  बैठने  बतियाने  का  सुख  लूटा

 

सुबह— सुबह

आंचलिक  बोलियों  का मिक्सचर

कानों  की  इन  कटोरियों  में  भरकर  लौटा

सुबह—– सुबह

——–  प्रसिद्ध कवि  नागार्जुन

( संकलित  )

———- राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !