जीवन में हम कुछ कर न सके ,
झोलियाँ किसी की भर न सके ,
संताप किसी का हर न सके
अपने प्रति सच्चा रहने का ,
जीवन भर हमने काम किया ,
देखा —देखी हम जी न सके ,
देखा— देखी हम मर न सके !!
—————- गोपाल सिंह नेपाली
( संकलित )
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !