बोल समंदर सच्ची सच्ची , तेरे अंदर क्या ? जैसा पानी बाहर है , वैसा ही है अंदर क्या ! बाबा जो कहते क्या …
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” आ रही रवि की सवारी “
आ रही रवि की सवारी ! नव किरण का रथ सजा है , कलि– कुसुम से पथ सजा है , बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण …
View More ” आ रही रवि की सवारी “” वरदान माँगूँगा नहीं “
यह हार एक विराम है जीवन महासंग्राम है तिल– तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं ! वरदान माँगूँगा नहीं !! स्मृति …
View More ” वरदान माँगूँगा नहीं “” मेरे प्यार की खुशबू “
मेरे प्यार की खुशबू वसंत के फूलों– सी चारों ओर उठ रही है ! यह पुरानी धुनों की याद दिला रही है ! अचानक मेरे …
View More ” मेरे प्यार की खुशबू “” तुम गए क्या ..”
तुम गए क्या शहर सूना कर गये , दर्द का आकार दूना कर गये ! जानता हूँ फिर सुनाओगे मुझे मौलिक कथाएँ शहर भर …
View More ” तुम गए क्या ..”” ओ गगन के जगमगाते दीप “
दीन जीवन के दुलारे खो गए जो स्वप्न सारे ला सकोगे क्या उन्हें फिर खोज हृदय समीप ! यदि न मेरे स्वप्न पाते क्यों नहीं …
View More ” ओ गगन के जगमगाते दीप “” तुम जो थे.. “
तुम जो थे तो थी धूप , तो थी चांदनी तो था एक नीला आकाश , तो था एक अपार सागर कई खुशियों की बूंदों …
View More ” तुम जो थे.. “” तलाश करो “
अच्छे से अच्छे की तलाश करो , मिल जाए गर नदी तो समुंदर की तलाश करो , टूट जाते हैं शीशे , पत्थरों की चोट …
View More ” तलाश करो “” जीना अपने ही में “
जीना अपने ही में… एक महान कर्म है , जीने का सदुपयोग… यह मनुज धर्म है ! अपने ही में रहना…. एक प्रबुद्ध कला है …
View More ” जीना अपने ही में “” जिंदगानी का कोई मक़सद नहीं है “
जिंदगानी का कोई मक़सद नहीं है , एक भी क़द आज आदमक़द् नहीं है ! राम जाने किस जगह होंगे कबूतर , इस इमारत …
View More ” जिंदगानी का कोई मक़सद नहीं है “