” प्रेम की गालियाँ “

तुम्हें   औषधि  मिले  ,  पीर  न  मिले

दृष्टि  मिले  ,  दृश्य  न     मिले

नींदें  मिलें  ,  स्वप्न  न   मिले

गीत  मिले  ,  धुन   न   मिले

नाव  मिले  ,   नदी  न     मिले

 

प्रिय  ,

तुम  पर  प्रेम  के  हज़ार  कोड़े  बरसें

तुम्हारी  पीठ  पर  एक  नीला  निशान  तक  न  मिले  !

——–  बाबुशा  कोहली

( संकलित  )

 

——–  राम  कुमार  दीक्षित  , पत्रकार   !

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