” मेरे प्यार की खुशबू “

मेरे  प्यार  की  खुशबू

वसंत  के  फूलों– सी

चारों  ओर  उठ  रही  है  !

यह  पुरानी  धुनों  की

याद  दिला  रही  है   !

अचानक  मेरे  हृदय  में

इच्छाओं  की  हरी  पत्तियाँ

उगने  लगी  है   !!

 

मेरा  प्यार  पास  नहीं  है

पर  उसके  स्पर्श  मेरे  केशों  पर  हैं

और  उसकी  आवाज़  अप्रैल  के

सुहावने  मैदानों  से  फुसफुसाती  आ  रही  है   !

उसकी  एकटक  निगाह  यहाँ   के

आसमानों  से  मुझे  देख  रही है

पर  उसकी  आँखें  कहाँ  हैं

उसके  चुंबन  हवाओं  में  हैं

पर  उसके  होंठ  कहाँ  हैं…

——-  प्रसिद्ध कवि  रवींद्रनाथ टैगोर

( संकलित  )

 

——–  राम  कुमार  दीक्षित  , पत्रकार      !

 

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