” आ रही रवि की सवारी “

आ  रही  रवि  की  सवारी  !

नव  किरण  का  रथ  सजा  है  ,

कलि– कुसुम  से  पथ  सजा  है  ,

बादलों  से  अनुचरों  ने  स्वर्ण  की  पोशाक  धारी  !

आ  रही  रवि  की  सवारी  !!

विहग  बंदी  और  चारण,

गा  रहे  हैं  कीर्ति   गायन  ,

छोड़कर  मैदान  भागी  तारकों  की  फौज  सारी  !

आ  रही  रवि  की   सवारी  !!

चाहता  , उछलू  विजय  कह  ,

पर  ठिठकता  देखकर  यह  ,

रात  का  राजा  खडा  है  , राह में  बनकर  भिखारी  !

आ  रही  रवि  की   सवारी   !!

——-  प्रसिद्ध कवि  हरिवंश राय  बच्चन

( संकलित  )

 

———-  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !

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