बोल समंदर सच्ची सच्ची , तेरे अंदर क्या ?
जैसा पानी बाहर है , वैसा ही है अंदर क्या !
बाबा जो कहते क्या सच है
तुझ में होते मोती ,
मोती वाली खेती तुझ में
बोलो कैसे होती ,
मुझको भी कुछ मोती देगा , बोल समंदर क्या ?
जो मोती देगा , गुड़िया का
हार बनाऊँगी मैं ,
डाल गले में उसके , उसका
ब्याह रचाऊँगी मैं ,
दे जवाब ऐसे चुप क्यों है , ऐसा भी डर क्या !
बोल समंदर सच्ची सच्ची , तेरे अंदर क्या ?
( संकलित )
—– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !