शीघ्र आओ प्रेम का न उलटे ठाठ रानी है असह्य वियोग बाले है निशा टलती न टाले करवटें लेते हुए — टूटी हमारी खाट रानी…
View More ” जोहता हूँ बाट रानी “Category: Uncategorized
” सुख — दुख “
सुख– दुख के मधुर मिलन से यह जीवन हो परिपूरन , फिर घन में ओझल हो शशि , फिर शशि से ओझल हो घन !…
View More ” सुख — दुख “” मुस्कराने के लिए “
मसखरा मशहूर है , आँसू बहाने के लिए बांटता है वो हंसी, सारे ज़माने के लिए ! घाव सबको मत दिखाओ, लोग …
View More ” मुस्कराने के लिए “” आशा का दीपक “
यह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है थक कर बैठे गये क्या भाई मंजिल दूर नहीं है चिंगारी बन गयी लहू…
View More ” आशा का दीपक ““क्षण भर को क्यों प्यार किया था ? “
क्षण भर को क्यों प्यार किया था ? अर्ध रात्रि में सहसा उठकर , पलक संपुटो में मदिरा भर तुमने क्यों मेरे चरणों में…
View More “क्षण भर को क्यों प्यार किया था ? “” प्रेम का मिलन “
मैं नदी हूँ, उसको दरिया बनना था, मेरे प्रेम का उसको ज़रिया बनना था , वो मेरे प्रेम का बांध बन गया, बांध नहीं बना …
View More ” प्रेम का मिलन “” ओ मतवाले ऐसे बरसो “
ओ मतवाले ऐसे बरसो धरती का यौवन मुसकाये सरस–सरस बूंदों से उतरो तरुवर खड़े बाँह फैलाये ! सावन में प्लावंन बन आये इतनी आतुरता न …
View More ” ओ मतवाले ऐसे बरसो “” झर गये पात “
झर गये पात बिसर गई टहनी करूण कथा जग से क्या कहनी ? नव कोंपल के आते–आते टूट गये सब के सब नाते राम …
View More ” झर गये पात “” हमारे हाथ “
अलसुबह नींद से जागने से रात को सोने तक कितनी चीजें गुजरती हैं हाथों से होकर पता नहीं क्या — क्या करते हैं हाथ पता …
View More ” हमारे हाथ “” हम कहा बड़ा ध्वाखा होइगा ” हास्य कवि रमई काका की रचना के कुछ अंश “
हम गयन याक दिन लखनौवे, कक्कू संजोग अइस परिगा, पहिलेहे पहिल हम सहरु दीख, सो , कहूँ– कहूँ ध्वाखा होइगा ! जब गयें नुमायिस् द्याखे…
View More ” हम कहा बड़ा ध्वाखा होइगा ” हास्य कवि रमई काका की रचना के कुछ अंश “