शीघ्र आओ प्रेम का न उलटे ठाठ रानी
है असह्य वियोग बाले
है निशा टलती न टाले
करवटें लेते हुए — टूटी हमारी खाट रानी
बोलने की बात तो क्या
पत्र का उत्तर न भेजा
क्या कहीं की बन गयी हो आजकल तुम लाट रानी
धर्म भी थोड़ा कमाऊँ
और दर्शन साथ पाऊँ
एक दिन आओ सवेरे तुम अहिल्या घाट रानी
विश्व मैंने है बिसारा
गीत बस अब है सहारा
मैं जुदाई में तुम्हारी बन गया हूँ भाट रानी
देख क्या करते बेचारे
जब बिना दर्शन तुम्हारे
मिल गये कितने कहानी— लेखकों को प्लाट रानी
जोहता हूँ बाट रानी !
——– प्रसिद्ध हास्य कवि , बेढब बनारसी !
( संकलित )
राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !