ऐसी न देखी सुनी सजनी धनी बाढ़त जात वियोग की बाधा ! त्यों ‘ पद्माकर ‘ मोहन को , तब तें कल है न कहूँ …
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” प्रार्थना “
ईश्वर , ध्यान देना , जब खडा होना पड़े मुझे , तो अपने से ज्यादा जगह न घेरु ! मैं ऋग्वेद के चरवाहों की…
View More ” प्रार्थना “” जगहें खत्म हो जाती हैं……”
जगहें खत्म हो जाती हैं जब हमारी वहाँ जाने की इच्छाएं खत्म हो जाती हैं लेकिन जिनकी इच्छाएँ खत्म हो जाती हैं वे ऐसी जगहों …
View More ” जगहें खत्म हो जाती हैं……”” भाई दूज “
भाई– बहन का प्यार अमर है , सारा जग ये जाने ! देने शत्– शत् बार दुआएं , बहनें रोली लेकर आईं ! जाति–…
View More ” भाई दूज “” भाई दूज “
भाई— बहन का यह त्योहार इसमें छुपा हुआ है प्यार ! इक— दूजे पर करते नाज़ भैया दूज आ गई आज ! …
View More ” भाई दूज “” प्रदीप ” ( कविता के कुछ अंश )
वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है , थककर बैठ गए क्या भाई, मंज़िल दूर नहीं है ! चिनगारी बन गई…
View More ” प्रदीप ” ( कविता के कुछ अंश )” आमंत्रण “
विपदाओं से मुझे बचाओ , यह मेरी प्रार्थना नहीं केवल इतना हो ( करुणामय ) कभी न विपदा में पाऊँ भय ! दुःख– ताप से …
View More ” आमंत्रण “” अनमोल मोती “
1—— स्त्री का सप्रेम आग्रह पुरुष से क्या नहीं करा सकता !! ——– मुंशी प्रेमचंद 2——— समझदारी आने पर यौवन चला जाता है …
View More ” अनमोल मोती “” हो गई है पीर पर्वत– सी पिघलनी चाहिए “
हो गई है पीर पर्वत– सी पिघलनी चाहिए , इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए ! आज यह दीवार , परदों की तरह …
View More ” हो गई है पीर पर्वत– सी पिघलनी चाहिए “” मौन “
बैठ लें कुछ देर, आओ , एक पथ के पथिक– से प्रिय, अंत और अनंत के , तम— गहन— जीवन घेर ! मौन मधु हो …
View More ” मौन “