जब हमारी वहाँ जाने की इच्छाएं
खत्म हो जाती हैं
लेकिन जिनकी इच्छाएँ खत्म हो जाती हैं
वे ऐसी जगहों में बदल जाते हैं
जहाँ कोई आना नहीं चाहता !
कहते हैं रास्ता भी एक जगह होता है
जिस पर जिंदगी गुजार देते हैं लोग
और रास्ते पाँवों से ही निकलते हैं
पाँव शायद इसीलिए पूजे जाते हैं
हाथों को पूजने की कोई परंपरा नहीं है
हमारी संस्कृति में
ये कितनी अजीब बात है !
———– प्रसिद्ध कवि नरेश सक्सेना
( संकलित )
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !