ध्यान देना ,
जब खडा होना पड़े मुझे ,
तो अपने से ज्यादा जगह न घेरु !
मैं ऋग्वेद के चरवाहों की करुणा के साथ कहता हूँ–
मुझे इस अनंत ब्रह्मांड में
मेरे पेट से बड़ा खेत मत देना ,
हल के भार से अधिक शक्ति ,.
बैल के आनंद से अधिक श्रम मत देना !
मैं टालस्टाय के किसान से सीख लेकर कहता हूँ :
मुझे मत देना उतनी ज़मीन ,
जो मेरे रोज़ाना के इस्तेमाल से ज़्यादा हो ,
हद से हद एक चारपाई जितनी जगह ,
जिसके पास में एक मेज़– कुर्सी आ जाए !
मुझे मेरे ज्ञान से ज़्यादा शब्द ,
सत्य से ज़्यादा तर्क मत देना !
सबसे बड़ी बात,
मुझे सत्य के सत्य से भी अवगत करवाना !
मुझे मत देना वह
जिसके लिए कोई और कर रहा हो प्रार्थना !
——- प्रसिद्ध कवि शिवसिंह सरोज
( संकलित )
———– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !