” भाई दूज “

भाई– बहन का  प्यार  अमर  है  ,

सारा  जग  ये  जाने  !

देने  शत्– शत्  बार  दुआएं  ,

बहनें  रोली  लेकर  आईं  !

 

जाति– धर्म  से  दूर  पर्व  यह  ,

बस  अपनापन  झलके  !

हर  हृदयंतर  की  गगरी  से  ,

ममता  का  रस  छलके  !

 

जीवन  की  हर  कठिन  डगर  पर  ,

साथ  कहीं  ना  छूटे  !

जग  सागर  में  नाव  भाई  की  ,

नहीं  कभी  भी  टूटे  !

 

पतझड़  ना  हो  मन  उपवन  में  ,

नित  सुख— अंकुर  फूटे  !

हरदम  दूर  रहें  विपदाएँ  ,

बहनें  रोली  लेकर  आईं   !

(  संकलित  )

 

——–  राम  कुमार  दीक्षित  ,   पत्रकार   !

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