मन बहुत सोचता है कि उदास न हो पर उदासी के बिना रहा कैसे जाए ? शहर के दूर के तनाव— दबाव कोई सह …
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” जो तुम आ जाते एक बार “
जो तुम आ जाते एक बार जो तुम आ जाते एक बार कितनी करुणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग गाता प्राणों …
View More ” जो तुम आ जाते एक बार “” स्वप्न झरे फूल से , मीत चुभे शूल से “
स्वप्न झरे फूल से , मीत चुभे शूल से लुट गये सिंगार सभी बाग के बबूल से और हम खड़े खड़े बहार देखते रहे !…
View More ” स्वप्न झरे फूल से , मीत चुभे शूल से “” लहरों का गीत “
सुन मधुर मरुत मुरली की ध्वनि गृह— पुलिन नान्ध , सुख से विव्हल, हम हुलस नृत्य करती हिल– हिल खस खस पड़ता उर से अंचल …
View More ” लहरों का गीत “” हम तो मस्त फ़क़ीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे “
हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे, जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे ! रामघाट पर सुबह गुजारी प्रेमघाट पर …
View More ” हम तो मस्त फ़क़ीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे “” दिन जल्दी जल्दी ढलता है “
दिन जल्दी जल्दी ढलता है ! हो जाए न पथ में रात कहीं, मंज़िल भी तो है दूर नहीं यह सोच…
View More ” दिन जल्दी जल्दी ढलता है “” तुमने देखा “
तुमने देखा कि हंसती बहारों ने ? तुमने देखा , कि लाखों सितारों ने ? कि जैसे सुबह धूप का एक सुनहरा बादल छा …
View More ” तुमने देखा “” छींक ” ( बच्चों के लिए )
लल्ला छींका , लल्ली छींकी, छींके बल्ला कल्ला ! छींक रहा था सारा ही घर , हुआ गली में हल्ला ! सुनकर हल्ला , मोहन …
View More ” छींक ” ( बच्चों के लिए )” जीभ और दाँत “
कंफ्यूशियस् के जीवन के अन्तिम दिन अनेक शिष्य उनके दर्शन करने पहुँचे ! उन्होंने अपने प्रिय शिष्य को अपने पास बुलाया तथा मुँह खोलकर दिखाते…
View More ” जीभ और दाँत “” धुंध कुहासा छटने दो “
ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति दुल्हन का रूप…
View More ” धुंध कुहासा छटने दो “