” स्वप्न झरे फूल से , मीत चुभे शूल से “

स्वप्न झरे फूल  से  , मीत  चुभे  शूल  से लुट  गये  सिंगार  सभी  बाग  के  बबूल  से और  हम  खड़े  खड़े  बहार  देखते  रहे   !…

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” हम तो मस्त फ़क़ीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे “

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे, जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना  जाना  रे  !   रामघाट पर सुबह गुजारी प्रेमघाट  पर …

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” छींक ” ( बच्चों के लिए )

लल्ला  छींका  , लल्ली  छींकी, छींके   बल्ला   कल्ला   ! छींक  रहा  था  सारा  ही   घर  , हुआ   गली   में   हल्ला   ! सुनकर   हल्ला  ,  मोहन …

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