” धुंध कुहासा छटने दो “

 

ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो

प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो,

प्रकृति दुल्हन का रूप धर
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी

शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी,

तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा

आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय-गान सुनाया जायेगा…

———– रामधारी सिंह  दिनकर

( संकलित  )

———- राम कुमार दीक्षित  ,  पत्रकार   !