” मैं हूँ बंसुरिया गोपाल की “

धीरे  उठाओ  मेरी  पालकी मैं  हूँ  सुहागिन   गोपाल की बेला  है  फूलों  के  माल  की फूलों  के  माल  की  ….. धीरे  उठाओ  मेरी  पालकी  !…

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” यकीन चाँद पे सूरज में ऐतबार भी रख “

यकीन  चाँद  पे  सूरज  में ऐतबार  भी  रख मग़र  निगाह  में  थोड़ा  सा  इंतिजार  भी  रख   !   ख़ुदा  के  हाथ  में  मत  सौंप  सारे …

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