फाल्गुन कृष्ण सष्टी तिथि को माता यशोदा का जन्म हुआ था ! महाराज परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रश्न किया ! महा भाग्यशाली यशोदा ने ऐसा कौन सा सुकृत किया था, जिसके कारण स्वयं श्री हरि ने उनके स्तनो का पान किया ! इस पर उन्होंने कहा कि महा भाग्यशाली माता यशोदा के सौभाग्य का वर्णन कौन कर सकता है , जिनकी गोद में साक्षात ब्रह्मांड नायक ने दुग्धपान किया हो !
बताया जाता है कि इसका संबंध उनके पूर्व जन्म से है ! नन्द बाबा अपने पूर्व जन्म में द्रोण नामक वसु थे ! वसु श्रेष्ठ द्रोण और उनकी पत्नी धरा ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की ! ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर दोनों को वर मांगने के लिए कहा— तो इस पर उन्होंने प्रार्थना की कि हे भगवान् , जब प्रभु श्रीकृष्ण पृथ्वी पर अवतार लें तो उनमें हमारी अविचल भक्ति हो ! ब्रह्मा जी ने कहा , तथास्तु ! इस वर के प्रभाव से सुमुख् नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से धरा का जन्म यशोदा के रूप में हुआ !
द्रोण ने नन्द बाबा के रूप में जन्म लिया ! भगवान् श्रीकृष्ण का जब जन्म हुआ तो वसुदेव को अपने मित्र नन्द बाबा की याद आई ! वह वसु श्रेष्ठ द्रोण और उनकी पत्नी धरा की भक्ति का ही प्रताप था कि वसुदेव श्रीकृष्ण को लेकर गोकुल छोड़ आये थे ! बताया जाता है कि फ़ाल्गुन कृष्ण सष्टी के दिन व्रत कर माता यशोदा का पूजन और ध्यान करने से गृह शान्ति होती है और संतान का सुख भी प्राप्त होता है !
——- राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !