” जग– जीवन में जो चिर महान “

जग– जीवन  में  जो  चिर  महान  ,

सौंदर्य– पूर्ण  औ  सत्य  —  प्राण  ,

मैं  उसका    प्रेमी  बनू    नाथ  ,

जिसमें  मानव  — हित  हो  समान   !

 

जिससे  जीवन में  मिले  शक्ति  ,

छूटे  भय  , संशय  ,  अंध– भक्ति  ,

मैं  वह  प्रकाश  बन  सकूँ    नाथ  ,

मिट  जावें  जिसमें  अखिल  व्यक्ति   !

 

दिशि– दिशि  में  प्रेम– प्रभा   प्रसार  ,

हर  भेद— भाव  का     अंधकार  ,

मैं  खोल  सकूँ  चिर  मुंदे,   नाथ  ,

मानव  के   उर   के  स्वर्ग— द्वार   !

 

पाकर  , प्रभु  ! तुमसे  अमर   दान  ,

करने  मानव  का    परित्राण    ,

ला  सकूँ  विश्व   में   एक    बार  ,

फिर    से   नव   जीवन   का   विहान   !!

———  प्रसिद्ध कवि  सुमित्रा नंदन  पंत

(  संकलित  )

 

——-  राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र  !

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