स्वामी रामतीर्थ सन्यास लेने के पूर्व तीरथ राम थे और लाहौर के एक स्कूल में गणित के प्राध्यापक थे ! एक बार ब्लैक बोर्ड पर उन्होंने एक रेखा खींचकर विद्यार्थियों से पूंछा कि— क्या इस रेखा को बिना मिटाये कोई इसे छोटी कर सकता है ?
कक्षा के सभी विद्यार्थी चुप रहे ! उन विद्यार्थियों में से एक विद्यार्थी ने उठकर उस रेखा के पास एक लम्बी रेखा खीच दी , जिससे पहली रेखा छोटी हो गई ! यह देखकर प्राध्यापक तीरथ राम बहुत प्रसन्न हुए ! प्राध्यापक ने कहा— जीवन का भी यही रहस्य है ! यदि तुम बड़ा बनना चाहते हो तो बड़े बन गए व्यक्तियों को कभी पीछे मत धकेलो ! अपने आप को उनसे बड़ा बनाने का प्रयास करो , वे अपने आप तुमसे छोटे हो जायेंगे ! होना यही चाहिए कि जो व्यक्ति जीवन में सफल हो गए हैं , उनसे प्रेरणा लेकर अत्यधिक परिश्रम करके और अधिक सफल व्यक्ति बनना चाहिए जिससे हमारा समाज और हमारा देश दिनोदिन प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहे !
——- राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !