” फिर बसंत आना है “

तूफानी   लहरें   हों अंबर   के   पहरे   हों पुरवा   के   दामन   पर दाग़   बहुत   गहरे   हों सागर   के   मांझी मत   मन  को   तू   हारना जीवन   के …

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मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ “

मैं  तुफ़ानों  में  चलने  का  आदि  हूँ  , तुम  मत  मेरी  मंज़िल  आसान   करो  !   हैं  फूल  रोकते  ,  कांटे  मुझे  चलाते.. मरुस्थल, पहाड़ …

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