” कोई ताज़ा हवा चली है अभी… “

दिल  में  इक  लहर  सी  उठी  है  अभी ,

कोई  ताज़ा  हवा  चली  है    अभी   !

भरी   दुनिया  में  दिल  नहीं  लगता  ,

जाने  किस  चीज  की  कमी  है  अभी   !

याद  के     दूर    वाले    टापू     से  ,

तेरी  आवाज़  आ  रही   है    अभी   !

शहर  की   अंधियारी    गलियों   में  ,

ज़िंदगी  तुझको   ढूंढती   है    अभी    !

कुछ   तो  नाज़ुक   मिज़ाज़  हैं  हम  भी  ,

और    यह   चोट   भी   नई   है      अभी    !

 

——–   राम कुमार दीक्षित, पत्रकार  , पुणे    !

 

 

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