नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुंज— कानन में ! समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का …
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” डटकर चल …. “
कुछ करना है तो डटकर चल, थोड़ा दुनिया से हटकर चल ! लीक पर तो सभी चल लेते हैं , कभी इतिहास को पलटकर चल …
View More ” डटकर चल …. “” तुमसे मिलने के पहले … “
तुमसे मिलने के पहले, हर बार सोचता हूँ , इधर– उधर की बातों के अलावा , तुमसे वे सारी बातें सुनता , जो तुम्हारी अपनी …
View More ” तुमसे मिलने के पहले … “” दीपक पर परवाने आये “
दीपक पर परवाने आये अपने पर फड़काते आये, किरणों पर बलखाते आये , बड़ी बड़ी इच्छाएं लाएं , बड़ी— बड़ी आशाएँ लाये दीपक पर …
View More ” दीपक पर परवाने आये “” अमृत कण “
1—-नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अंतर्मन , तब सुख के मिले समंदर का रह जाता कोई अर्थ नहीं ! —-…
View More ” अमृत कण “” जब कोई बात बिगड़ जाए…. “
जब कोई बात बिगड़ जाए , जब कोई मुश्किल पड़ जाए , तुम देना साथ मेरा , ओ हमनवाज़, न कोई है , न कोई …
View More ” जब कोई बात बिगड़ जाए…. “” अगर हो सकते हमको ज्ञात “
अगर हो सकते हमको ज्ञात नियति के , प्रिये, रहस्य अपार, जान सकते हम विधि का भेद, विश्व में क्यों चिर हाहाकार ! चूर्ण कर …
View More ” अगर हो सकते हमको ज्ञात “” अमृत कण “
1——- दयालु बनो, क्योंकि तुम जिस किसी से भी मिलते हो, वह एक कठिन लडाई लड़ रहा है ! 2——- उस समय कमज़ोर दिखो …
View More ” अमृत कण “” मेरा गीत दीया बन जाए ” ( कुछ अंश )
अंधियारा जिससे शरमाए उजियारा जिसको लालचाये ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम मेरा गीत दीया बन जाए ! इतने छलकों अश्रु थके हर राहगीर …
View More ” मेरा गीत दीया बन जाए ” ( कुछ अंश )” कर्म का फल “
बहेलियां ने तीर छोड़ा, वह लता बल्लरियों की बाधाओं को चीरता, राजकुमार सुकर्णव के मस्तिष्क पर जा लगा। राजकुमार वही धराशाई हो गए। समस्त अंतापुर रो…
View More ” कर्म का फल “