1. मेरे पाने या खोने में तुम्हारा ज़िक्र होता है
मेरे हँसने या रोने में तुम्हारा ज़िक्र होता है !
हवाएं और महक तो हमेशा साथ रहते हैं
मेरा ज़िक्र होने में तुम्हारा ज़िक्र होता है !
2. वेदनाएँ बिकीं मन की बेदाम हैं
जो ना बदले कभी बस ये दो नाम हैं !
जानकी वन में रहकर रही जानकी
राम महलों में रहकर रहे राम हैं !
3. अंधकार हो घटटोप् वह निशा बदलनी होगी
अब रक्ताभ गिरा को धुलकर तृषा बदलनी होगी !
रमणि के आलिंगन की गाथाएँ बहुत रची हमने
निश्चित ही अब हमें सृजन की दिशा बदलनी होगी !
4. बेसुरी वीणा हुई अब तार ढीले हो गए ,
आंसुओं की धार से हर गाल गीले हो गए !
वेदना यह कह उठी, संगीत को क्या हो गया,
गीत के हर शब्द ही बेहद नुकीले हो गए !
5. ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ ग़म है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख़्मों का मरहम है !
अज़ब सी कशमकश है, रोज जीने, रोज मरने में
मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है !
(संकलित )
— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !