” मुझसे चाँद कहा करता है “

मुझसे चाँद कहा करता है

चोट कड़ी है काल प्रबल की

उसकी मुस्कानों से हल्की ,

राजमहल कितने सपनों का पल में नित्य ढहा करता है !

मुझसे चाँद कहा करता है !

तू तो लघु मानव है केवल ,

पृथ्वी तल का वासी निर्बल ,

तारों का असमर्थ अश्रु भी नभ से नित्य बहा करता है !

मुझसे चाँद कहा करता है !

तू अपने दुख में चिल्लाता ,

आँखों देखी बात बताता ,

तेरे दुख से कहीं कठिन दुख यह जग मौन सहा करता है !

मुझसे चाँद कहा करता है !

— प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन

( संकलित )

—– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *