” तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार “

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार   आज  सिंधु  ने विष  उगला  है लहरों  का यौवन   मचला  है आज  हृदय  में  और  सिंधु …

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” दिन पर दिन चले गए… “

दिन  पर  दिन  चले  गए  पथ  के  किनारे गीतों  पर  गीत  अरे  रहता   पसारे बीतती  नहीं  बेला  सुर  मैं  उठाता जोड़— जोड़  सपनों  से  उनको …

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” हाँ हुज़ूर मैं चिल्लाता हूँ “

हाँ, हुज़ूर मैं चीख रहा हूँ, हाँ हुज़ूर मैं चिल्लाता  हूँ क्यों कि हमेशा मैं भूखी अंतड़ियों की पीड़ा गाता हूँ   मेरा कोई गीत…

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