मंद मधुर मुस्कान ,
हो जाती है तब अनजाने से
बिना कहे पहचान !
मुस्काकर हर बाधा को जो
हंस– हंस जाता झेल ,
जीवन का हर दुख ही उसको
लगता जैसे खेल !
मुस्कानों से छलका पड़ता
मन का सुंदर रूप ,
ये जग को जगमग करती है
ज्यों प्रातः की धूप !
मुस्काते बच्चे लगते हैं
जैसे खिलते फूल ,
महक रही है जिनके कारण
इस धरती की धूल !
जीवन को देता सुख सच्चा
मुस्काने का कर्म ,
औरों को देना मुस्कानें
सबसे अच्छा धर्म !
( संकलित )
——- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !