प्रेम ख़ुद ही स्वयं को संवारता है ,
यह अपनी आंतरिक प्रसन्नता को वाह्य ,
सुंदरता से सिद्ध करने का प्रयास करता है !
प्रेम किसी अधिकार का दावा नहीं करता है !
परंतु स्वतंत्रता देता है !
प्रेम एक अनंत रहस्य है ,
क्यों कि इसकी व्याख्या करने के लिए .
और कुछ है ही नहीं !
प्रेम का उपहार दिया नहीं जा सकता ,
यह तो स्वीकारे जाने की प्रतीक्षा करता है !
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !