” वन हैं तो जल है और जल है तो जीवन है “

           वन हैं तो जल है, जल है तो जीवन है  ! जीवन है तो सब कुछ सुरक्षित है, लेकिन विडंबना की बात है कि ना तो जल सुरक्षित है और ना ही जंगल सुरक्षित हैं  ! आज देश के कई जंगल गर्मी के समय आग से असुरक्षित हैं  , जिससे वन्य जीव, जंतु और पेड़ पौधों को खतरा बना ही रहता है  ! वहीं दूसरी ओर अंधाधुंध जंगलों की कटाई के कारण ही वनों के संरक्षण पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है  !

            जल के प्रति इतने जन जागरण के बाद भी लोगों में  वह आत्म– भाव नहीं  जगा है  जो जगना  चाहिए था  ! आज भी अपने देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें जल आसानी से नहीं मिलता है  ! जल को प्राप्त करने में उन्हें अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है , इसलिए  उन्हें जल की कीमत का पता है  ! लेकिन जिन्हें जल मिल रहा है, वे लोग जल का उचित सरंक्षण तो करते नहीं, बल्कि अंधाधुंध जल का दुरूपयोग करते हैं  !  देखा तो यह भी गया है कि यदि बाल्टी में पानी भर गया है  , तब भी लोग नल बंद नहीं करते और जल बहता रहता है या यों कहें कि जल बरबाद होता रहता है  जबकि हमारी स्वयं की और  समाज के लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि जल को बरबाद ना करें  ! अब तो केवल सरकार को ही नहीं, समाज के हर नागरिक को  अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जल और  पेड़ पौधों एवं जंगल के प्रति करुणा भाव दिखाना होगा और उन्हें सुरक्षित करना होगा  ! जल और जंगल का उचित सरंक्षण हो गया तो समझिये  , संपूर्ण मानव जीवन सुरक्षित हो गया  !

 

——–  राम कुमार दीक्षित  , पत्रकार  , पुणे, महारास्ट्र  !

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