” मार्निंग वाक करते समय मौन रहकर अपने कदमों पर ध्यान दीजिये “

सुबह सैर करने वालों  की आजकल खूब संस्थाएँ बन गई हैं  ! लोग सवेरे मिलकर साथ– साथ वाक करते हैं  , लेकिन वाक से ज्यादा  टाक करते हैं  ! जिन्हें शारीरिक ऊर्जा के साथ– साथ मानसिक ऊर्जा भी चाहिए  ! उन्हें सवेरे सैर करते समय बातचीत नहीं करनी चाहिए  ! विचारों से शून्य सवेरे की सैर जीवन के हर क्षेत्र में आपकी सहनशक्ति को बढ़ा देगी  !

देखा यह गया है कि लोग घूमते समय खूब बतियाते हैं  और कुछ लोग तो बतियाने के लिए ही घूमते हैं  ! अब यह तो ऐसा हुआ कि सुबह का पहला कदम शोर के साथ उठा लिया  ! सुबह की सैर तो खामोश रहकर करनी चाहिए  ! इसके अलावा जब भी सैर करें, खासतौर पर सुबह, तो आपके साथ सिर्फ आपके विचार हों  ! धीरे– धीरे  अपने कदमों पर ध्यान दीजिये  ! कदमों के साथ विचार  शून्य होकर एकाग्र होकर खुद से जुड़ते हुए सैर कीजिये  !

अगर आप बहुत सारे लोगों के साथ चल भी रहे हों  , तो  प्रयास कीजिये कि  खामोशी उतर जाए  ! सुबह की सैर व्यावहारिक नहीं, भावनात्मक होनी चाहिये  ! यह चलता फिरता क्लब शारीरिक स्वास्थ्य में तो मददगार हो सकता है  , पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए मौन  कदम ताल बड़ा उपयोगी है  !

 

——-  राम कुमार दीक्षित, पत्रकार  , पुणे, महारास्ट्र  !

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