” चिट्ठी ना कोई संदेश “

चिट्ठी ना कोई संदेश ,

जाने वो कौन सा देश ,

जहाँ तुम चले गए ,

जहाँ तुम चले गए !

इस दिल पे लगा के ठेस ,

जाने वो कौन सा देश ,

जहाँ तुम चले गए !

एक आह भरी होगी ,

हमने ना सुनी होगी ,

जाते जाते तुमने ,

आवाज़ तो दी होगी ,

हर वक़्त यही है ग़म ,

उस वक़्त कहाँ थे हम ,

कहाँ तुम चले गए !!

चिट्ठी ना कोई संदेश ,

जाने वो कौन सा देश ,

जहाँ तुम चले गए ,

कहाँ तुम चले गए !!

( संकलित )

— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !

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