तो मस्त है ज़िंदगी ,
दुःखी रहकर गुज़ारो ,
तो त्रस्त है ज़िंदगी !
तुलना में गुज़ारो ,
तो पस्त है ज़िंदगी ,
प्रतीक्षा में गुज़ारो ,
तो सुस्त है ज़िंदगी !
सीखने में गुज़ारो ,
तो पुस्तक है ज़िंदगी ,
दिखावे में गुज़ारो ,
तो बर्बाद है ज़िंदगी !
अनमोल है इसलिए ,
प्यार से जियो यह ज़िंदगी ,
सबको खुशियाँ बाँटकर ,
यादगार बनाओ ज़िंदगी !!
( संकलित )
—– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !