जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने संदेश ,
पथ में बिछ जाते बन पराग !
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग !
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार !
हँस उठते पल में आर्द्र नयन,
धुल जाता होंठों से विषाद !
छा जाता जीवन में बसन्त
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देती सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार !
—————– महादेवी वर्मा
( संकलित )
राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !