” कलम आज उनकी जय बोल “

जला  अस्थियां   बारी  बारी चिटकाई  जिनमें  चिंगारी जो  चढ़  गये  पुण्य  वेदी  पर लिए  बिना  गर्दन  का  मोल कलम  आज  उनकी  जय  बोल   !  …

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” हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते “

हाथ  छूटे  भी  तो  रिश्ते  नहीं  छोड़ा  करते वक़्त  की  शाख  से  लम्हे  नहीं  तोडा  करते   !   जिस  की  आवाज़  में  सिलवट हो  निगाहों …

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“जिंदगी यूँ हुई बसर तन्हा .. “

जिंदगी  यूँ  हुई  बसर  तन्हा  , काफिला  साथ  और  सफ़र  तन्हा  !   अपने  साये  से  चौँक   जाते  हैं उम्र  गुजरी  है  इस  क़दर   तन्हा …

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“तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा “

तमाम  उम्र  मैं  इक  अजनबी  के  घर  में  रहा  , सफर  न्  करते  हुए  भी  किसी  सफर  में  रहा  !   वो जिस्म  ही  था …

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” जब खिलती मुखड़े के ऊपर “

जब  खिलती  मुखड़े  के  ऊपर मंद  मधुर  मुस्कान  , हो  जाती  है  तब  अनजाने  से बिना  कहे  पहचान    !   मुस्काकर  हर  बाधा  को …

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