1. मैं दिया हूँ, मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अंधेरे
से है , हवा तो बेवजह मेरे खिलाफ़ हैं !
2. बहुत अन्दर तक जला देती हैं , वो
शिकायतें जो बयाँ नहीं होतीं !
3. सहमा सहमा डरा सा रहता है , जाने क्यूँ
जी भरा सा रहता है !
4. कुछ ज़ख़्मों की उम्र नहीं होती है,
ता उम्र साथ चलते हैं , जिस्मों के खाक़ होने तक !
5. देर से गूंजते हैं सन्नाटे, जैसे हमको पुकारता
है कोई !
6. कभी ज़िंदगी एक पल में गुज़र जाती है ,
और कभी ज़िंदगी का एक पल नहीं गुजरता !
—– प्रसिद्ध गीतकार गुलज़ार
( संकलित )
—- राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !