तहसील में नहीं है स्थाई तहसीलदार, दूर के लोगों को महंगा पड़ता है बार-बार आना,कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर ग्रामीण
मधुबन। व्यवस्था के तहत राजस्व विभाग को सबसे महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है। अच्छे, बुरे किसी भी कार्य में राजस्व विभाग की उपस्थिति रहती है। भूलेख से लेकर सामान्य लोक प्रशासन के संचालन में राजस्व विभाग अहम होता है। खास बात यह है कि जिस दियारा का अधिकांश क्षेत्र राजस्व क्षेत्र में आता है उस मधुबन में तहसील का संचालन उधार के मातहत कर्मियों द्वारा संभाला जा रहा है। पूर्णकालिक तहसीलदार नहीं हैं।आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है। यहां पर हर मौसम में आपदा आती हैं। किसी तरह की घटना घटने पर सबसे पहले राजस्व विभाग की मौजूदगी अपरिहार्य मानी जाती है। आर्थिक मदद से लेकर अन्य सहायता की जिम्मेदारी तहसील पर ही होती है। जब तहसील मुखिया विहीन हों तो संचालन में ढील नजर आती है। यह सब झेल रहा है मधुबन तहसील। जहां शासन तहसीलदारों की तैनाती पर कंजूस बना हुआ है। मधुबन तहसील कार्यालय में स्थाई तहसीलदार की पदस्थापना नहीं होने से किसानों और ग्रामीणों को काम कराने में परेशानी हो रही है। तहसील से जुड़े 45 किलोमीटर दूर देवरांचल के सबसे अंतिम छोर पर बसे गांव चक्कीमूसाडोही तक के ग्रामीणों को एक काम के लिए बार-बार यहां आना पड़ता है, जो उन्हें बहुत महंगा पड़ता है। तहसील मुख्यालय पर तहसीलदार के पद रिक्त होने से ग्रामीणों के कार्य अटके हुए हैं। ग्रामीण तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं । लेकिन उनका कार्य समय पर नहीं हो रहा। बीते कई महीनों से तहसीलदार का पद रिक्त पड़ा है। कामों के लिए तहसील कार्यालय आने वाले ग्रामीणों ने बताया कि वह रुपए और समय खर्च कर आते हैं, लेकिन तहसीलदार नहीं मिलने से उन्हें वापस लौटना पड़ता है। ग्रामीण लल्लन कुमार,रमेश यादव, मोहन प्रसाद, राकेश सिंह, तेज बहादुर, रामा सहित क्षेत्र के लोगों ने कहा जल्द स्थाई तहसीलदार की नियुक्ति होनी चाहिए। तहसीलदार के नहीं बैठने से कई महत्वपूर्ण काम प्रभावित हो रहे हैं। लोग परेशान होते हैं। व्यापार मंडल अध्यक्ष बबलू ठठेरा ने कहा कि मधुबन में कोई स्थायी तहसीलदार नहीं होने के कारण लोेगों को अपना काम कराने के लिए घोसी तहसील जाना पड़ता है या फिर कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। इससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है। पूर्व प्रधान व समाजसेवी बबलू पाण्डेय ने कहा कि मधुबन तहसील कई गांवों से घिरा है, दियारा क्षेत्र है, और रोज कुछ न कुछ समस्या जनहित की बनी रहती हैं और लोग अपनी दैनिक समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए हमेशा यहां आते हैं, लेकिन स्थायी तहसीलदार नहीं होने से निराश होकर लौटते हैं। मौजूदा समय में यहां पर तहसीलदार नहीं है। ऐसे में लोगों को राजस्व संबंधी कार्यों के लिए भारी दिक्कत पेश आ रही है। वहीं इस संदर्भ में जब एसडीएम राजेश अग्रवाल से जानने की कोशिश की गई तो कोई जवाब ही नहीं मिला।