बात नसों तक पहुँचना चाहिए !
धूप छाँव खेलने से क्या होगा ,
हांथों से उसको पकड़ना चाहिए !
छुपकर बैठे पुराने दर्द का ,
अचूक इलाज होना चाहिए !
गहराने लगा दर्द अपनी जगह ,
माकूल जवाब मिलना चाहिए !
टूट जाती है सहने की शक्ति ,
कुछ तो परिवर्तन करना चाहिए !
बहुत कुछ झेलना पड़ता है ज़िंदगी में ,
अब इसको भी तो समझना चाहिए !
एहतियातन रास्ता बदलना पड़ता है ,
ऐसे ही कुछ लोगोँ से बचना चाहिए !
—- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !