प्रदेश के 34 जनपदों की 157 तहसीलों में भूकम्प, औद्योगिक (रासायनिक) एवं अग्नि सुरक्षा पर राज्य स्तरीय मॉक एक्सरसाइज का विभिन्न चरणों में आयोजन/संचालन

प्रदेश के 34 जनपदों की 157 तहसीलों में भूकम्प, औद्योगिक (रासायनिक) एवं अग्नि सुरक्षा पर राज्य स्तरीय मॉक एक्सरसाइज का विभिन्न चरणों में आयोजन/संचालन

लखनऊ: 15 सितम्बर, 2025

उ.प्र. राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा प्रदेश के 34 जनपदों की 157 तहसीलों में भूकम्प, औद्योगिक (रासायनिक) एवं अग्नि सुरक्षा पर राज्य स्तरीय मॉक एक्सरसाइज का आयोजन/संचालन विभिन्न चरणों में कराए जाने के निर्देश दिये गये है। राज्य स्तरीय मॉक एक्सरसाइज का आयोजन/संचालन सितम्बर, 2025 में चार चरणों में कराया जाना है।
यह जानकारी उ0प्र0 राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री भानु चन्द्र गोस्वामी ने दी। उन्होंने बताया कि जिन जनपदों में मॉक एक्सरसाइज का आयोजन/संचालन किया जाना है, उनमें जनपद-अमरोहा, बागपत, बलरामपुर, बिजनौर, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, कुशीनगर, महाराजगंज, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, रामपुर, सहारनपुर, सम्भल, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, अलीगढ़, बहराइच, बलिया, बरेली, बस्ती, बदायूं, देवरिया, गोण्डा, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, मथुरा, पीलीभीत, शाहजहांपुर, सीतापुर एवं संतकबीर नगर शामिल है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के समस्त 75 जनपदों को 19 जनपदों को भूकम्प संवेदनशीलता के आधार पर विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों के अंतर्गत रखा गया है। जिसमंे 19 जनपदों को पूर्ण रूप से जोन-04 में रखा गया है। 15 जनपदों को आंशिक रूप से जोन-04 एवं जोन-03 में रखा गया है। 19 जनपदों को पूर्ण रूप से जोन-03 में रखा गया है। 14 जनपदों को आंशिक रूप से जोन-03 एवं जोन-02 में रखा गया है तथा 08 जनपदों को पूर्ण रूप से जोन-02 में रखा गया है।
श्री गोस्वामी ने बताया कि 34 जनपदों में चार चरणों में मॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया जायेगा। जिसके अंतर्गत 09 सितम्बर, 2025 को प्रथम चरण, कल 16 सितम्बर, 2025 को द्वितीय चरण, 19 सितम्बर, 2025 को तृतीय चरण एवं 26 सितम्बर, 2025 को चतुर्थ चरण का आयोजन किया जायेगा। इसमें जनपद स्तर से विभिन्न विभागों, संस्थाओं एवं संगठनों द्वारा प्रतिभागिता सुनिश्चित की जायेगी।
मॉक एक्सरसाइज का उद्देश्य एवं लक्ष्य राज्य एवं जनपदों की आपदा प्रबंधन योजना तथा संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया की समीक्षा करने के साथ-साथ प्रत्येक संबंधित विभाग की विभागीय आपदा प्रबंधन योजनाओं की समीक्षा करना, प्दबपकमदज त्मेचवदेम ैलेजमउ (प्त्ै) के अनुसार विभिन्न हितधारकों की भूमिकाओं एवं जिम्मेदारियों का परीक्षण करना तथा प्रतिक्रिया तंत्र (त्मेचवदेम डमबींदपेउ) में प्त्ै की उपयोगिता को संस्थागत बनाना, जनपद स्तर पर आपातकालीन सहायता कार्यों हेतु विभिन्न हितधारकों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करना, मीडिया, स्थानीय निकायों, गैर सरकारी संगठनों और समुदाय को शामिल करके जन-जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार करना तथा संसाधनों, संचार माध्यमों, प्रतिक्रिया क्षमताओं में परिलक्षित कमियों को पहचान कर आवश्यकतानुसार सुधार करना है।

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