दुनिया के तेजी से बदलते परिदृश्य में विश्वविद्यालयों को संसाधनों का सहयोगी उपयोग कर सतत गतिशील रहते हुए प्रगति के नए शिखर छूते रहना है
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हर अच्छे कार्य में समस्याएँ आती हैं, लेकिन समाधान खोजकर ही आगे बढ़ना है
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विश्वविद्यालयों में विविध प्रतियोगिताएँ और गतिविधियाँ आयोजित कर युवाओं की छुपी प्रतिभा व कौशल को उभारते हुए नवाचार के अवसर विकसित किए जाएं
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सर्वश्रेष्ठ कौशल व नवाचार को आगे बढ़ाते हुए विद्यार्थियों को रोजगार व आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना ही विश्वविद्यालय की प्रमुख जिम्मेदारी
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शिक्षक, स्टाफ और विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय की असली शक्ति
-माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल
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सामूहिक प्रयासों से उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता की नई मिसाल कायम करेंगे
-अपर मुख्य सचिव श्री राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे
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लैब से लैंड और लैंड से लैब की अवधारणा को साकार करते हुए प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने सीमित संसाधनों के बावजूद उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की है
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विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल जानी
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लखनऊ : 07 सितम्बर, 2025
प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा और मार्गदर्शन में आज राजभवन, लखनऊ में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क-2025 में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा प्राप्त उत्कृष्ट रैंकिंग के उपलक्ष्य में संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी कुलपतियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुसंधान कार्यों, नवाचार और सभी के परिश्रम व समर्पण का सजीव प्रमाण है। यह प्रदर्शन न केवल प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करता है, बल्कि विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करता है।
राज्यपाल जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज की दुनिया तेजी से बदल रही है और हर क्षेत्र में नवाचार नई संभावनाएँ खोल रहा है। विश्वविद्यालयों को उपलब्ध संसाधनों का आपसी सहयोग से उपयोग कर निरंतर आगे बढ़ना होगा। इस शैक्षणिक यात्रा को रुकने नहीं देना है, बल्कि सतत गतिशील रखते हुए प्रगति के नए शिखर छूते रहना है।
उन्होंने विश्वविद्यालयों में विविध गतिविधियों के आयोजन पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिताएँ और गतिविधियाँ ही छुपी हुई प्रतिभाओं व कौशल को सामने लाती हैं और इन्हीं से नवाचार के अवसर उत्पन्न होते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि आज के युवा 21वीं सदी के युवा हैं, जिनके पास नए-नए विचार हैं। इसलिए विश्वविद्यालयों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित हों, जहाँ प्रत्येक को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का अवसर मिले। इसी संदर्भ में उन्होंने राजभवन में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का उल्लेख किया, जहाँ प्रतिभागियों ने उत्कृष्ट कौशल का प्रदर्शन किया था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राजभवन में 22 बच्चों को बांसुरी वादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्हें 26 जनवरी की परेड में प्रस्तुति हेतु तैयार किया जा रहा है। इसी प्रकार विश्वविद्यालयों को भी कौशल और नवाचार की दिशा में नए प्रयोग करने चाहिए। राजभवन में मॉडल विद्यालय बनाया जा रहा है। राजभवन के अधिकारी और कर्मचारियों ने अभियान चलाकर आसपास की बस्तियों से 75 नए बच्चों का नामांकन कराया और अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के लिए प्रेरित किया।
राज्यपाल जी ने निर्देश दिया कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में कम-से-कम पाँच विभागों के बीच आंतरिक प्रतियोगिताएँ आयोजित हों। इनमें जो सर्वोत्तम कौशल और नवाचार सामने आए, उसे आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल पढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना और आत्मनिर्भर बनाना ही विश्वविद्यालयों की प्रमुख जिम्मेदारी है। विद्यार्थियों के साथ ओपन डिस्कशन कर उनके विचारों को विश्वविद्यालय की योजनाओं में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास अपार कौशल होता है इसका लाभ विश्वविद्यालयों को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को उनसे संबंद्ध महाविद्यालयों को नैक रैंकिंग प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कुलसचिव, रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक जैसे दायित्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है कि वे प्रशासनिक कार्यप्रणाली को पारदर्शी, संवेदनशील और प्रभावी बनाते हुए विश्वविद्यालय की प्रगति में सक्रिय योगदान दें।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी आगे कहाँ गए, उन्होंने कौन-सा रोजगार या नवाचार शुरू किया और कितने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। विश्वविद्यालयों को ऐसे आँकड़े नियमित रूप से एकत्रित करने चाहिए, क्योंकि विद्यार्थियों की उपलब्धियाँ ही विश्वविद्यालय की वास्तविक पहचान हैं।
शोध और फंडिंग के विषय पर राज्यपाल जी ने कहा कि इस दिशा में राजभवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और नीति आयोग के साथ बैठकें हुई हैं, जिससे काफी कुछ सीखने को मिला। उन्होंने कहा कि जब भी किसी प्रोजेक्ट को अस्वीकृत किया जाए तो उसके कारणों को अवश्य साझा किया जाना चाहिए, ताकि विश्वविद्यालय उससे सीख लेकर भविष्य में सुधार कर सकें। साथ ही, जो शोध और प्रोजेक्ट्स उत्कृष्ट हों, उन्हें हरसंभव आगे बढ़ाना चाहिए।
राज्यपाल जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के जन्मदिवस के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों को भी इसमें सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। इससे विद्यार्थियों को यह सोचने का अवसर मिलेगा कि उनका विश्वविद्यालय और उनका देश कैसा है, उनके कार्यों का परिणाम क्या है, और वे राष्ट्र की प्रगति में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों के कार्यक्रम केवल परिसर तक सीमित न रहें, बल्कि समाज से जुड़ते हुए विश्वविद्यालय के बाहर भी आयोजित हों।
राज्यपाल जी ने जोर दिया कि विश्वविद्यालयों को जो रैंकिंग प्राप्त हुई है, उससे और ऊपर जाने का निरंतर प्रयास होना चाहिए। यह एक वर्षभर की सतत प्रक्रिया है जिसमें ढिलाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर अच्छे कार्य में समस्याएँ आती हैं, लेकिन समाधान खोजकर ही आगे बढ़ना होता है।
राज्यपाल जी ने स्पष्ट किया कि किसी भी विश्वविद्यालय की असली शक्ति उसके शिक्षक, स्टाफ और विद्यार्थी हैं। यदि यह तीनों मिलकर समर्पित भाव से कार्य करें तो विश्वविद्यालय को ऊँचाइयों तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि जो लोग पहले से अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें दूसरों को भी यह सिखाना चाहिए कि तैयारी कैसे करनी है और उत्कृष्टता की ओर कैसे बढ़ना है। जिस प्रकार अमेरिका ने भारत पर अनेक प्रकार के टैरिफ प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत झुका नहीं और दृढ़ता से आगे बढ़ता रहा। यह 140 करोड़ जनता की ताकत का प्रमाण है। उसी प्रकार विश्वविद्यालयों को भी निरंतर आगे बढ़ते रहना है।
राज्यपाल जी ने कहा कि आगरा विश्वविद्यालय के सामने अनेक चुनौतियाँ थीं, लेकिन वहाँ के कुलपति ने सतत मेहनत और प्रयास से उत्कृष्ट रैंकिंग प्राप्त की। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों को जो रैंकिंग मिली है, उसकी प्रशंसा स्वयं प्रधानमंत्री जी ने की है। प्रधानमंत्री जी को गहरी रुचि है कि देश के विश्वविद्यालय आगे बढ़ें, और यह देखकर प्रसन्नता होती है कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय वास्तव में प्रगति की ओर अग्रसर हैं।
ज्ञातव्य है कि एनआईआरएफ-2025 में उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय रैंकिंग श्रेणी में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर को 68वां, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ को 98वां तथा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर को 151 से 200 बैंड में स्थान मिला। राज्य विश्वविद्यालय श्रेणी में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर को 23वां, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ को 27वां, किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ को 29वां, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ को 41वां स्थान प्राप्त हुआ, जबकि हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय, कानपुर, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय तथा डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने 51 से 100 बैंड में स्थान बनाया।
प्राविधिक श्रेणी में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर को 60वां स्थान और हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय, कानपुर को 201 से 300 बैंड में स्थान मिला। मैनेजमेंट श्रेणी में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर को 83वां तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ को 100वां स्थान प्राप्त हुआ। आर्किटेक्चर श्रेणी में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ की फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग को 39वां स्थान मिला।
ओवरऑल श्रेणी में किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ को 83वां तथा मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर को 99वां स्थान प्राप्त हुआ। विधि श्रेणी में लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ को 29वां स्थान प्राप्त हुआ। चिकित्सा विश्वविद्यालय श्रेणी में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ को 5वां तथा किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ को 8वां स्थान प्राप्त हुआ। फार्मेसी श्रेणी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी को 68वां तथा महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली को 86वां स्थान प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे ने सभी विश्वविद्यालयों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने माननीय राज्यपाल महोदया के मार्गदर्शन और प्रेरणा से शिक्षा तथा नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि विश्वविद्यालय अपनी कमियों को पहचानकर उन पर कार्य करें, सुधार लाएँ और आगामी वर्षों में इससे भी बेहतर प्रदर्शन कर देश एवं प्रदेश की प्रतिष्ठा को और ऊँचाई प्रदान करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयासों से उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता की नई मिसाल कायम करेंगे।
इस अवसर पर विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल जानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों की यह उपलब्धि माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन, उनकी प्रेरणा तथा उन पर अटूट विश्वास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति महोदया की निरंतर प्रेरणा और विश्वविद्यालय परिवार के अथक परिश्रम ने ही “संकल्प से सिद्धि“ तक की यात्रा को संभव बनाया है। डॉ. जानी ने कहा कि लैब से लैंड और लैंड से लैब की अवधारणा को साकार करते हुए प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने सीमित संसाधनों के बावजूद उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। यह सफलता उनके संकल्प, प्रतिबद्धता और सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।
विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क-2025 में मिली उपलब्धि विश्वविद्यालयों के लिए प्रेरणास्रोत है। कुलपतियों ने आश्वस्त किया कि वे शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुसंधान, नवाचार और रोजगारोन्मुख शिक्षा को और गति देंगे। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति महोदया के मार्गदर्शन से विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण सुदृढ़ हुआ है और भविष्य में भी सामूहिक प्रयासों से विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ऊँचाइयों तक ले जाने का कार्य निरंतर जारी रहेगा।
इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, अध्यापक सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।