कुलाधिपति की अध्यक्षता में अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ का प्रथम दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ


राज्यपाल ने कुल 8507 उपाधियाँ प्रदान कीं, जिनमें 72 प्रतिशत (6150) छात्राएँ रहीं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को 73 स्वर्ण एवं रजत पदक दिए गए, जिनमें 82 प्रतिशत पदकधारी छात्राएँ थीं
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राज्यपाल ने आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 300 आंगनबाड़ी केंद्रों को किट भी प्रदान कीं
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विश्वविद्यालय परिसर में एक चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना एवं संचालन किया जाए, ताकि यहाँ चिकित्सा शिक्षा और अधिक सुदृढ़ हो सके
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दीक्षांत समारोह में महिलाओं द्वारा अधिक उपाधियाँ और पदक अर्जित करना इस बात का प्रमाण है कि अब कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ उनका वर्चस्व न हो
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वर्षभर का एक वार्षिक कैलेंडर तैयार कर विद्यालयों में पर्यावरण, जल संरक्षण, स्वच्छता, दहेज निषेध एवं बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर आधारित प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँ, जिससे बच्चों का ज्ञानवर्धन हो और वे विकसित भारत निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें
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आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को विश्वविद्यालय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे गर्भवती महिलाओं को वैज्ञानिक और व्यवहारिक जानकारी देकर स्वस्थ शिशु जन्म एवं पोषण संबंधी मार्गदर्शन प्रदान कर सकें
-माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल
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लखनऊ : 04 सितम्बर, 2025
प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ का प्रथम दीक्षांत समारोह भव्यता एवं गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने कुल 8507 उपाधियाँ प्रदान कीं, जिनमें से 6150 उपाधियाँ छात्राओं को प्राप्त हुईं। यह कुल संख्या का लगभग 72 प्रतिशत है, जबकि मात्र 28 प्रतिशत छात्र ही इस उपलब्धि में सहभागी हो सके। समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 73 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण एवं रजत पदक प्रदान किए गए, जिनमें से 60 पदकधारी छात्राएँ रहीं, अर्थात कुल 82 प्रतिशत छात्राएँ पदक प्राप्त करने में सफल रहीं। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 300 आंगनबाड़ी केंद्रों को किट भी प्रदान कीं।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई जी के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होना उनके लिए विशेष हर्ष का विषय है, क्योंकि उन्हें स्वयं अटल जी से जनप्रतिनिधि के दायित्व, कार्यकुशलता और जनता के प्रति मर्यादित व्यवहार का अमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।
राज्यपाल जी ने कहा कि आज के दीक्षांत समारोह में महिलाओं द्वारा अधिक उपाधियाँ और पदक अर्जित करना इस बात का प्रमाण है कि अब कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ उनका वर्चस्व न हो। आने वाले समय में महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएँगी। उन्होंने स्मरण दिलाया कि पहले परिवारों का ध्यान बेटियों की शिक्षा की बजाय विवाह पर अधिक केंद्रित रहता था। बेटियों में अपार कौशल होते हुए भी अवसरों की कमी और बेटे-बेटी के बीच असमानता उनके मार्ग में बाधा थी। इसके बावजूद बेटियों ने परिवार और समाज, दोनों स्तरों पर संघर्ष किया और आज वे हर क्षेत्र में सफलता अर्जित कर रही हैं। कृषि क्षेत्र, जहाँ पहले उनकी भागीदारी नगण्य थी, अब वहाँ भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका है। राज्यपाल जी ने सभी विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे मन लगाकर अध्ययन करें और अपने जीवन को जनसेवा के लिए समर्पित करें।
विश्वविद्यालयों द्वारा गोद लिए गए गाँवों के विद्यालयों के बच्चों की चित्रकला और पर्यावरण विषयक प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि बच्चों की कूची से निकली मासूम रचनाएँ उनके भीतर छिपी अद्भुत प्रतिभा और रचनात्मकता को दर्शाती हैं। ऐसे प्रयास बच्चों में संवेदनशीलता और जागरूकता का संचार करते हैं तथा भविष्य के भारत की उज्ज्वल तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। इस अवसर पर शिक्षकों की भी सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रतिभा को आकार देने में उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है। राज्यपाल जी ने जिलाधिकारी और कुलपति को निर्देश दिया कि वर्षभर का एक वार्षिक कैलेंडर तैयार कर विद्यालयों में पर्यावरण, जल संरक्षण, स्वच्छता, दहेज निषेध एवं बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर आधारित प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएँ, जिससे बच्चों का ज्ञानवर्धन हो और वे विकसित भारत निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर चिंतित रहते हैं, क्योंकि इसके कारण अनेक गंभीर बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इस पर ध्यान गर्भावस्था से ही देना आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं का प्रसव अस्पताल में होना चाहिए तथा उन्हें आहार, वातावरण, मानसिक स्वास्थ्य और परिवार के सहयोग के बारे में जागरूक किया जाना जरूरी है। साथ ही, जन्म के बाद बच्चों के उचित पालन-पोषण की जानकारी भी माताओं तक पहुँचना चाहिए। यह जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की होती है, इसलिए उनका प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है।
राज्यपाल जी ने कुलपति को निर्देश दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को विश्वविद्यालय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे गर्भवती महिलाओं को वैज्ञानिक और व्यवहारिक जानकारी देकर स्वस्थ शिशु जन्म एवं पोषण संबंधी मार्गदर्शन प्रदान कर सकें। साथ ही जिलाधिकारी को भी उन्होंने निर्देशित किया कि जिले स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को नियमित प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के लिए होम्योपैथी में प्रभावी दवाएँ उपलब्ध हैं, इसलिए आयुष, एलोपैथी और होम्योपैथी विभागों के सहयोग से एक समग्र दवा-किट तैयार कर आंगनबाड़ी केंद्रों को उपलब्ध कराई जाए, जिससे बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि जब किसी बड़े संस्थान का निर्माण होता है तो अक्सर किसानों की भूमि का उपयोग किया जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि उन किसानों की स्थिति का सर्वे किया जाए और उनकी आय के स्थायी प्रबंध सुनिश्चित किए जाएँ, ताकि उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
राज्यपाल जी ने आगे कहा कि मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाली बेटियों की सुरक्षा और सम्मान पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। कुलपति और अध्यापकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी प्रकार से उनका शोषण न हो। उन्होंने यह भी कहा कि शैक्षणिक सत्र के बीच में फीस वृद्धि नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि अनेक गरीब परिवार अपनी भूमि बेचकर अपने बच्चों को मेडिकल शिक्षा दिलाते हैं, और बीच में फीस बढ़ने से उन्हें गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के चिकित्सा विश्वविद्यालयों को नैक में सर्वाेच्च ग्रेड प्राप्त हो रहे हैं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रमाण है। अटल बिहारी वाजपेई चिकित्सा विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट निर्माण और अधोसंरचना की सराहना करते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय परिसर में एक चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना एवं संचालन किया जाए, ताकि यहाँ चिकित्सा शिक्षा और अधिक सुदृढ़ हो सके।
राज्यपाल जी ने कहा कि सभी छात्राओं का हीमोग्लोबिन परीक्षण अनिवार्य रूप से कराया जाए और भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उन्हें प्रदान किया जाए। डॉक्टरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवा में संवेदनशीलता, मानवता और सेवाभाव को सर्वाेपरि रखना चाहिए। कोई भी मरीज किसी भी परिस्थिति में आए, उसकी सेवा करना ही डॉक्टर का प्रथम कर्तव्य है और इस जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
इस अवसर पर सभी उपाधियों और अंकपत्रों को डिजिलॉकर में अपलोड किया गया। विश्वविद्यालय की पुस्तकों का विमोचन किया गया तथा विभिन्न विद्यालयों की प्रतियोगिताओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उपहार एवं पुरस्कार प्रदान किए गए।
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने अपने संबोधन में अधिक उपाधि एवं पदक प्राप्त करने पर छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश का चतुर्मुखी विकास हो रहा है। उपमुख्यमंत्री जी ने उल्लेख किया कि अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय में सेंट्रल लाइब्रेरी की स्थापना तथा शोध को प्रोत्साहित करने वाले कार्य किए जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में एक नया चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय स्थापित किया जाएगा।
राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा श्री मयंकेश्वर शरण सिंह तथा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 संजीव मिश्रा ने भी विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों पर बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर जिला प्रशासन के अधिकारी, विश्वविद्यालय के समस्त संकायाध्यक्ष, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, आमंत्रित अतिथिगण, शिक्षकगण, विद्यार्थी, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियाँ, विद्यालयों के स्कूली बच्चे तथा अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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