दिल इस दुनिया में खो गया है क्या ,
आईना संग हो गया है क्या !
मैं न था बीता हुआ पल था ,
अब ये मुड़– मुड़ के देखता है क्या !
सोचते सब हैं , पर क्या मेरी तरह ,
और कोई भी सोचता है क्या !
रुत बदलते ही दिल बदलते हैं ,
तू मेरे शहर में नया है क्या !!
गर पारखी नज़र मिले तो देख ,
एक नुक़्ता भी फैलता है क्या !!
( संकलित )
——– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !