हर किसी को नहीं आते
बेज़ान बारूद के कणों में
सोई आग को सपने नहीं आते
बदी के लिए उठी हुई
हथेली के पसीने को सपने नहीं आते !
शेल्फ़ों में पड़े
इतिहास– ग्रंथों को सपने नहीं आते
सपनों के लिए लाज़िमी है
झेलने वाले दिलों का होना
सपनों के लिए
नींद की नज़र होना लाज़िमी है
सपने इसलिए
हर किसी को नहीं आते !!
( संकलित )
——- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !