एक अरसे बाद दोनों सेवा निवृत्त रेल कर्मी स्टेशन मार्केट में मिले ! रास्ता चलते उन्होंने एक– दूसरे का हाल– चाल पूंछा ! बातचीत के दौरान प्रदीप बाबू, जो स्टेशन मास्टर के पद से रिटायर हुए थे ! ज़मीन, जायदाद, रुपये– पैसे, आलीशान मकान , फिक्स्ड डिपाजीट, निवेश का बखान करते रहे !
इस बीच कार्यालय अधीक्षक के पद से रिटायर हुए अमित बाबू को आजू– बाजू से गुजरने वाले लोग हाय— हैलो , राम— सलाम करते रहे ! स्टेशन रोड की गुमटियों में चाय पीते लोग , उन्हें चाय– नाश्ते का आमंत्रण देते रहे ! चाय वाले भी इसरार करते रहे ! कम उम्र के रेल कर्मी उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते रहे ! रोड के किनारे बैठे सब्जीवाले भी अदब से एक– दो सब्जियां ले लेने का आग्रह करते रहे !
अरे भाई , बड़ा अचरज हो रहा है ! रिटायर होने के इतने सालों बाद भी तुम्हारी इतनी पूँछ !
हाँ, प्रदीप , मेरी नौकरी की यही असली कमाई है ! इसी पूंजी को साथ लेकर जाना है !
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !