मनुष्य अपने शरीर को सजाने के लिए अंगों पर विशेष काम करता है , करना भी चाहिए ! शरीर को सजाने में 16 शृंगारों का नाम लिया जाता है ! स्त्रियाँ 16 शृंगार को लेकर सावधान रहती हैं ! पैर से गले तक नौ शृंगार के अंग होते हैं और गले के ऊपर सात ! हमारे पास एक अंग है आँख और उसकी पुतली ! मनुष्य को अपनी आँख और पुतली पर खास काम करना चाहिए !
अगर किसी मनुष्य की पलक धीमे– धीमे नीचे हो और धीमे– धीमे ऊपर उठे तो उसका ध्यान लग सकता है ! पलकों की गति का संबंध मन की शांति और अशांति से है ! वैसे ही पुतलियाँ दिन भर में कई बार बड़ी– छोटी होती हैं ! जिस बात में हमको रस होता है , वह दृश्य सामने आने पर पुतलियाँ बड़ी हो जाती हैं ! पुरुषों की पुतलियाँ किसी स्त्री का चित्र देखकर बड़ी हो जाती हैं , ऐसा मनोवैज्ञानिक कहते हैं ! वहीं स्त्री की पुतलियाँ बच्चे का चित्र देखकर बड़ी हो जाती हैं ! यदि आपको पलक और पुतली के रस को जानना है तो जब भी कभी देव स्थान पर जाएं तो उस स्थान और वहाँ स्थापित प्रतिमा को देखकर पलक और पुतली पर विशेष ध्यान दें तो आपको जीवन का रस मिल जायेगा !
——– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार , पुणे, महारास्ट्र !