” प्रेम एक मास्टर चाबी है, जो सब तालों में लगती है “

दिल से कही गई बात दिल तक जाती है और देर तक तथा भीतर तक असर करती है  ! जबकि ऊपर– ऊपर से कही गई बात ऊपर ही रह जाती है  ! चंबल के दुर्दांत डाकू कानून और डंडे के भय से नहीं सुधर पाए  ! उनको आचार्य विनोबा भावे ने बदल दिया और उन्होंने श्री भावे के सामने आत्मसमर्पण कर दिया  , कारण श्री भावे, उनके दिल तक पहुंचे और उनका हृदय परिवर्तित कर दिया  ! महात्मा बुद्ध के सामने अंगुलीमाल डाकू ने घुटने टेक दिए  ! रत्नाकर डाकू का हृदय परिवर्तन हुआ तो वह बाल्मीकि बन रामायण की रचना कर दिये  ! किसी ताले पर आप हथौड़े से चोट करें तो वह मुड़ जायेगा, टूट जायेगा  लेकिन खुलेगा नहीं  ! परन्तु चाबी उसके हृदय में प्रवेश करती है और उसे खोल देती है  !

किसी बड़े से बड़े मकान में कमरा मकान से छोटा होता है और कमरे से छोटा कमरे का दरवाजा होता है  ! दरवाजे से छोटी कुण्डी होती है और कुण्डी से छोटा ताला होता है  ! ताले से छोटी चाबी होती है  ! छोटी सी चाबी से ताला लगते ही पूरे मकान का कब्जा आपकी जेब में होता है  ! चाबी को एक ओर घुमाया  , ताला बन्द हो गया  ! विपरीत दिशा में घुमा दीजिये  , ताला खुल जायेगा  ! हमारा मन बड़ा सूक्ष्म है  , पर है बड़ा शक्तिशाली  ! मन कब्जे में आ गया तो सारा संसार हमारे कब्जे में आ जाता है  !

मन की चाबी को संसार की तरफ घुमाइये तो संसार की तरफ खुल जाओगे और परमात्मा की तरफ से बन्द हो जाओगे  ! इसी मन को चाबी को विपरीत दिशा में घुमाइये तो संसार की तरफ से बन्द होकर, परमात्मा की तरफ खुल जाओगे  ! कई लोग अपने ऊपर विभिन्न प्रकार के ताले लगाकर रखते हैं  ! किसी ने अपने ऊपर अहंकार का  तो किसी ने पैसों का  , तो किसी ने रूप रंग का, तो किसी ने अपने ऊपर खानदान का, किसी ने अपनी जाति  , अपने धर्म का ताला लगाकर, अपने आप को बंद कर रखा है  ! सभी अपने– अपने तालों में  कैद हैं  !  मन को परमात्मा की तरफ मोड़ने से ही प्रेम की अनुभूति होगी और परमात्मा से मिलन होगा  !

 

——-  राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र  !

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